अमृत कुमार श्रेष्ठ

साहित्य-कला

मुक्तक

उर्ली अाउने खहरे भेल हो कि तिम्रो माया। बगी जाने खाेेली हो कि बाँचुन्जेल हाे तिम्राे माया ॥ चाेखाे माया

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